किसानों का हुआ नरमा से मोहभंग, इस बार धान की अधिक होगी खेती, क्या किसान 7 हजार का लालच देख कर रहे है धान की खेती ?
किसानों का हुआ नरमा से मोहभंग, इस बार धान की अधिक होगी खेती, क्या किसान 7 हजार का लालच देख कर रहे है धान की खेती ?
खेत खजाना : सिरसा, फतेहाबाद- इस साल में पिछले कुछ समय से धान का रकबा लगातार बढ़ रहा है। इस बार भी जहां पानी की उपलब्धता ठीक-ठाक है वहां पर किसान नरमे की जगह घान की खेती करना चाहते हैं। इसी के चलते अनेक किसानों ने तो नरमा की बिजाई तक नहीं की। वहीं कुछ किसानों ने नरमे की बिजाई की थी। उन किसानों की फसल बढ़ती गर्मी के कारण खराब हो गई है । ऐसे में इस बार फिर से धान की खेती में बढ़ोतरी होगी।
इसकी वजह है कि धान की खेती करने वाले किसानों को प्रति एकड़ 70 हजार से एक लाख रुपये तक की फसल हो जाती है। जबकि नरमा की खेती अच्छा उत्पादन होने के बाद भी 40 हजार रुपये प्रति एकड़ तक नहीं होता। पिछले दो वर्षों से तो हालत खराब है। नरमा की खेती करने वाले किसानों को मोटा नुकसान भी हुआ था। जिले में पिछले एक दशक में वैसे भी नरमे की खेती कम हो गई।
बीटी बीज से शुरूआत में नरमे की पैदावार अच्छी हुई, लेकिन बाद में नरमे का बीज निम्न कवलिटी का आने लग गया। पिछले तीन वर्षों से अत्याधिक बारिश से परेशानी हुई है। इसके आलावा नरमे की खेती करीब 180 दिनों की होती है जबकि धान की खेती महज 120 से 130 दिनों की होती है। पूरी खेती रोपाई के बाद मशीन पर निर्भर है। जबकि नरमे की खेती में ऐसा नहीं है।
इस बार किसानों ने कम रकबे में की है नस्मा फसल बिजाई की है । कपास की बिजाई कम होने से साफ अंदाजा लगाया जा सकता है इस बार धान की रोपाई अधिक होगी, जिससे आने वाले दिनों में जल संकट भी पैदा हो सकता है।
अनुदान की योजना का लाभ लेकर भी बढ़ रही धान की खेती
प्रदेश सरकार उन किसानों की प्रति एकड़ सात हजार रुपये की सहायता देते है। जिन किसानों ने गत वर्ष धान की खेती की थी। इस बार उस खेत मे धान की खेती नहीं करते है तो उनकी सरकार 7 हजार रुपये की सहायत देती है। पिछले दो वर्षों से सरकार इस योजना के तहत जिले के 12 हतार से अधिक किसानों की सहायता दे चुकी है, लेकिन धरातल पर धान का रकबा बढ़ गया। गत वर्ष जिले के 1 लाख 30 हजार एकड़ में धान की खेती की गई थी। इस बार यह आंकड़ा 1 लाख 45 हजार हेक्टेयर तक जा सकता है।
फतेहाबाद जिले में इस बार 1 लाख 45 हजार हेक्टेयर में होगी धान की खेती
• गत वर्ष धान की खेती 1 लाख 30 हजार हेक्टेयर
गत वर्ष नरमे की खेती 55 हजार हेक्टेयर
• इस वर्ष नरमे की खेती 32 हजार हेक्टेयर
52 हजार सत्वमसिंबल ट्यूबवेल, 5 हजार से अधिक सोलर सिस्टम आधारित ट्यूबवेल कनेक्शन लगे
जिले में 52 हजार सबमर्सिबल ट्यूबवेल के बिजली कनेक्शन है। पिछले चार साल में केंद्र सरकार की योजना के अनुसार पांच हजार सवमर्सिबल ट्यूबवेल के कनेक्शन लग गए। इस पर सरकार 75 प्रतिशत अनुदान देती है। ऐसे में किसान बड़ी संख्या में कनेक्शन लगवाए। ये कनेक्शन उन क्षेत्रों में कामयाब है जहा पर भूमिगत पानी 30 से 40 फीट तक ही खेती योग्य है। ऐसे में अब सोलर सिस्टम आधारित ट्यूबवेल लगने से वहां पर भी किसान धान की खेती करेंगे। पांच किलोवाट का सोलर पंपसेट तीन से चार किले में आसानी से धान की खेती पक्का देता है।
32 हजार हेक्टेयर में की नरमे की खेती, गत वर्ष से 23 हजार कमः
जिले में अब तक किसानों ने करीब 32 हजार हेक्टेयर में ही नरमे की बिजाई की है। जबकि गत वर्ष 55 हजार खेती की गई थी। इस बार कपास का एक विशेष किस्म का बीज न मिलने के कारण भी किसानों न कम बिजाई की है। ऐसे में किसान पानी की उपलब्धता व शुरुजात में अच्छी बारिश होने पर धान की खेती करेंगे। किसानों ने धान बिजाई के लिए खेत तैयार करके छोड़ दिया है ।
जिले में इस बार धान का रकबा बढ़ने की संभावना है। किसानों से अहवान करेंगे कि वे मिश्रित खेती की और बढ़े ताकि जल सरंक्षण हो सके। डा. राजेश सिख्यम्, उपनिदेशक कृषि विभाग